प्रयागराज न्यूज डेस्क: शशिकांत त्रिपाठी की कहानी प्रयागराज के दारागंज इलाके से एक दर्दनाक और दिल झकझोर देने वाली सच्चाई को सामने लाती है। एक समय सीआईडी अधिकारी के बेटे और वकील के रूप में सक्रिय रहे शशिकांत की शादी दरोगा बृजबली तिवारी की बेटी दीक्षा से हुई थी, लेकिन यह रिश्ता ही उनकी बर्बादी की जड़ बन गया। शादी के बाद उनके ससुराल वालों ने जायदाद के लिए उन पर मानसिक और शारीरिक दबाव बनाना शुरू किया।
दबाव से तंग आकर शशिकांत ने 112 पर मदद मांगी, लेकिन ससुर के रसूख के आगे पुलिस भी बेबस नजर आई। उन्होंने वकालत छोड़ दी और मऊ जाकर नौकरी करने लगे, फिर भी ससुराल वालों ने पीछा नहीं छोड़ा। पत्नी दीक्षा ने भी संकट के वक्त साथ नहीं दिया और घर से गहने, नकदी लेकर मायके चली गई। शशिकांत ने अपनी पीड़ा सोशल मीडिया पर जाहिर की और आखिरकार 31 मई 2023 को आत्महत्या कर ली।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि उनका अंतिम संस्कार न तो उनके पिता की मौजूदगी में हुआ और न ही पोस्टमार्टम किया गया। परिजनों ने इसे आत्महत्या दिखाने की कोशिश की। जब प्रयागराज पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो वृद्ध पिता अवधेश त्रिपाठी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट के आदेश पर एफआईआर तो दर्ज हो गई, लेकिन जांच की रफ्तार बेहद सुस्त है और आरोपी खुले घूम रहे हैं।
यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, सिस्टम की संवेदनहीनता और एक परिवार की बर्बादी की कहानी है। वृद्ध माता-पिता की उम्मीद अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से है — क्या वे न्याय दिला पाएंगे?